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आपका मन दुखी होता है तो जरूर देख

अभिप्रेरणा या प्रेरणा आंतरिक या बाह्य हो सकती है। इस शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर इंसानों के लिए किया जाता है, लेकिन सैद्धांतिक रूप से, पशुओं के बर्ताव के कारणों की व्याख्या के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इस आलेख का संदर्भ मानव अभिप्रेरणा है। विभिन्न सिद्धांतों के अनुसार, बुनियादी ज़रूरतों में शारीरिक दुःख-दर्द को कम करने और सुख को अधिकतम बनाने के मूल में अभिप्रेरणा हो सकती है, या इसमें भोजन और आराम जैसी खास ज़रूरतों को शामिल किया जा सकता है; या एक अभिलषित वस्तु, शौकलक्ष्य, अस्तित्व की दशा, आदर्श, को शामिल किया जा सकता है, या इनसे भी कमतर कारणों जैसे परोपकारितानैतिकता, या म्रत्यु संख्या से बचने को भी इसमें आरोपित किया जा सकता 

आंतरिक और बाह्य प्रेरणासंपादित करें

आंतरिक प्रेरणासंपादित करें

आंतरिक प्रेरणा अपने आप में किसी कार्य या गतिविधि में ही अंतर्निहित पुरस्कार - किसी पहेली का आनंद लेने या खेल से लगाव से-आती है।[1] 1970 के दशक से प्रेरणा के इस स्वरूप का अध्ययन सामाजिक और शैक्षणिकमनोवैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है। शोध में पाया गया है कि यह आमतौर पर उच्च शैक्षणिक उपलब्धि और छात्रों द्वारा उठाये जाने वाले लुत्फ़ के साथ जुड़ा हुआ है। फ्रिट्ज हेइदर के गुणारोपण सिद्धांत, बंडूरा के आत्म-बल पर किए गए कार्यों और रयान [2] और रयान और डेकी के संज्ञानात्मक मूल्यांकन सिद्धांत के जरिए आंतरिक प्रेरणा की व्याख्या की गयी। विद्यार्थी आंतरिक रूप से अभिप्रेरित हो सकते हैं अगर वे:
  • अपने शैक्षणिक परिणामों के लिए आंतरिक कारकों को श्रेय दें जिसे वे नियंत्रित कर सकते हैं (मसलन, उन्होंने कितना प्रयास किया),
  • यकीन है कि वे अभिलषित लक्ष्यों तक पहुंचने में प्रभावी कारक हो सकते हैं (जैसे कि, परिणाम किस्मत द्वारा निर्धारित नहीं होते),
  • तोता-रटंत के जरिए अच्छा ग्रेड प्राप्त करने में रुचि के बजाए किसी विषय विशेष में दक्षता हासिल करने में दिलचस्पी.
आंतरिक अभिप्रेरणा और 16 बुनियादी अभिलाषाओं के सिद्धांतो के लिए नीचे देखें.
आन्त्रिक अभिप्रेरणा जैसे: भुख, प्यास्, मल्, मुत्र्, कमेछा, क्रोध्, प्रेम्, उदसि आदि बह्ये अभिप्रेरणा जैसे: परीक्षा परिणाम्, पुरुस्कार, दन्ड्, प्रतियोगिता, प्रशन्सा, निन्दा आदि।

बाह्य अभिप्रेरणासंपादित करें

आपका मन दुखी होता है तो जरूर देख आपका मन दुखी होता है तो जरूर देख Reviewed by nareshkumarsaini on 01:35 Rating: 5

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